जाSतानी गाड़ी पकड़े हाथ में 'हिट' बा नूं?

घर त घर...अब अगर गाड़ी से भी कहीं जाए के बा...त तेलचाटा मारे वाला दावाई लेके जाइबि...ना त हो सकेला सुतले में कान में कौनो कीड़ी घुसि जाउ... बनारस जाए खातिर आतवार के सुरेमनपुर से एकहि गाड़ी मिलेले...सारनाथ एक्सप्रेस...एसे ओहि से आवे के रहुए...एसी थ्री में पहिलहीं से रिजर्वेशन रहुए...जा के बइठि गउंई जा...गाड़ी बलिया से थोड़ा आगेही बढ़ल रहुए कि साइड वाली सीट पर सुतल एक जानी उठि के चिलाए लगुई...आस पास केहु देखात ना रहुए...एसे आचानक कुछु समझ में ना आइल...ऊ आताना ना डेरा गइल रहुई कि बोलिओ ना पावत रहुई...लगे गइला पर धीरे से देखउई...देखीं ना इहंओ काकरोच...घर में त आतना साफाई राखल जाला...सफर में भी साफ सुथरा जगहि मिले एसे एसी में लोग रिजर्वेशन कारा दिहल हा...लेकिन इहां त खोभारियो से खाराब हालति बा...अब बाताईं ना का कइल जाउ...जइसे तइसे उनुका के समझा बुझा के बइठुवीं जा...बाकिर फिकिर त लागले रहुए...कहीं झपकी मति आ जाउ आ कौनो कीड़ा कान में मति घुसि जाउ... सांझि खा स्पेसलवा पकड़े के रहुए...ए से जल्दी जल्दी सहर में काम कइके फेरू स्टेशन पहुंचि गंउवीं जा...सब कुछु ऐज यूजुअल...नोटिस बोर्ड पर 'रत मने राइट टाइम प्लेटफार्म नंबर ७ से' लिखल रहुए...प्लेटफार्म पर ढेर भीड़ ना रहुए...बइठहुं के जगहि मिलि गउए...जे दु चारि आदमी रहुए उहो एने से ओने भागत रहुए...ओसहिं जइसे हमेसा स्टेसन पर होत रहेला... तनिकिए देर में टीटी लउकुवनि...त सबसे पहिले दिमाग में अउए कि पहिले बर्थ के पाता कई लीहल जाउ...काहें से कि गाजियाबाद से चलते वक्त जातारा खाराब बुझात रहुए...जइसे तइसे भागि दउरि के गाड़ी में चढ़नी जा...ई-टिकट के हिसाब से बी-२ में रिजर्वेशन रहुए...चाढ़ला प पाता चलुए कि बी-२ कोच में हमनि के बर्थ नंबर हइए नइखे...एतना में त केहुए के दिमाग घुमि जाइ...काहें से कि ई-टिकट पर पहिलके नियम लिखल बा कि जब चार्ट में नाम रही तबे सही मानल जाई...नाहिं त पइसा देला के बावजूद...विदाउट टिकट... बाद में पाता चलुए कि रिजर्वेशन ७२ वाली बोगी के हिसाब से होखल रहल हा...आ कोच ६५ वाला लागि गइल बा...अटेंडेंट सुभाव के निमन रहुए...खोजि खाजि के बाता दिहुए कि हमनि के रिजर्वेशन बी-२ से बी-१ में कई दिहल गईल बा... खैर इहां सब ठीक रहुए...एतने में चारु ओर सभे ठाठा के हंसे लगुए...हमनि के सोचनी जा कि आखिर इहों लाफ्टर चैनल सुरु हो गईल का...तले टीटी साहब खुदे समझि गउअनि...तनी हंसि के फेर लिखे पढ़े में लागि गउंअन... असल में लाउडस्पीकर से लागातार बोलत रहुए कि स्पेसल ट्रेन प्लेटफार्म नंबर सात पर आ गइल बिया...लेकिन लउके भरि में गाड़ी के कहीं पते ना रहुए...एही बहाने हंसी के महौल करीब पांच मिनट तक चलुए... ड्राइबरो के सायद सुना गउए...थोड़ी देर में गाड़ी आइए गउए...भीतर जाके जवन देखे मिलल ऊ रसोई में अकसरे देखे के मिलेला...बाकिर गाड़ी के एसी बोगी में पहिल बार देखे के मिलल... पहिले त आदमी आपने बर्थ खोजेला...साइड अपर आ साइड लोअर दूनो बर्थ एके साथे रहुए...बर्थ पर एने से ओने कम से कम पांच-सात गो तेलचाटा घूमत रहुअन स...ऊपर वाली बर्थ पर भी ऊहे हाल...अगल बगल भी काकरोच रेस चलत रहुए...झाड़ि झूड़ि के बिछा के हमनियों के बइठुविं जा...तले ले दू गो जीव झोरा में घुसे लगुअनि स... तब सिर्फ ओ मेहरारू के चेहरा सामने रहुए...जौन सुबह गाड़ी में तेलचाटा से डेरा के चिलात रहुई...काहें से कि हमनि के त पूरी रात बितावे के रहुए... "हामारा त राति भर निनिए ना लागि...आंखि त अपने मुंदा जाए कान कइसे मूंदबि"...बगल वाली बर्थ पर एक जानी परेसान रहुई...

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भोजपुरी के ठीहा

इ भोजपुरी के अइसन ठीहा ह जाहां रउआ सभे के ऊ चीजु परोसे के कोसिस कईल जाला...जवन कहीं ना मिलि पावेला...भोजपुरी के जवन खांटी सावाद रहल हा...उ अब कमे सुने के मिलता...कगो अइसन चीजु बा जवन अब कहूं ना सुनाला...अइसने कुछु खोजे के कोसिस बा...'भोज पत्तर ' ए दिसा में 'मील के ठीहा' साबित होखे के चाहीं...अइसन उमीद बा...

अउर पढ़ीं सभे...

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